: उत्तर बिहार के 9 डाक प्रमंडल में ग्रामीण डाक सेवाएं की चार चरणों की बहाली में 95 प्रतिशत से अधिक अभ्यर्थी फर्जी पाए गए। इन सभी के सर्टिफिकेट फर्जी निकले। अकेले तीसरे और चौथे चरण की बहाली में ही चयनित 647 अभ्यर्थियों में से 592 के सर्टिफिकेट फर्जी मिले। कई अभ्यर्थियों ने 3-3 लाख में डील की बात कबूली है।


उत्तर बिहार के 9 डाक प्रमंडल में ग्रामीण डाक सेवाएं की चार चरणों की बहाली में 95 प्रतिशत से अधिक अभ्यर्थी फर्जी पाए गए। इन सभी के सर्टिफिकेट फर्जी निकले। अकेले तीसरे और चौथे चरण की बहाली में ही चयनित 647 अभ्यर्थियों में से 592 के सर्टिफिकेट फर्जी मिले। कई अभ्यर्थियों ने 3-3 लाख में डील की बात कबूली है।

इसी वजह से हर चरण की बहाली में लगातार अधिकांश फर्जी अभ्यर्थी यहां सामने आ रहे थे। तंग आकर डाक विभाग अब फर्जी सर्टिफिकेट पर चयनित ग्रामीण डाक सेवकों के खिलाफ पहली बार कानूनी कार्रवाई करने में जुट गया है।

पांचवें चरण की बहाली में पहली बार मुजफ्फरपुर में 12 फर्जी सर्टिफिकेट वाले पकड़े गए हैं। इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हाे चुकी है। वहीं, चंपारण प्रमंडल के डाक अधीक्षक आशुतोष आदित्य की ओर से भी 37 फर्जी सर्टिफिकेट वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

इसके साथ ही दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, सारण, सीवान तथा आरएमएस के यू डिविजन में भी फर्जी सर्टिफिकेट वालों की धर-पकड़ के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं।
अभ्यर्थियों ने तीन लाख तक में सौदे की बात कबूली

पुलिस की पूछताछ में अभ्यर्थियों ने 3 लाख तक में सौदा हुआ था। पुलिस इन सभी के नाम, पते के साथ फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाली कराने वाले गिरोह का पता लगाने में जुट गई है। सत्यापन में जुट गई है। रेल डाक सेवा के एक पदाधिकारी ने बताया कि डाक विभाग में जीडीएस पद के लिए भर्ती प्रक्रिया हुई थी। इसमें कई छात्रों का मेरिट लिस्ट निकल चुका था। इसको लेकर सुबह से शाम के छह बजे तक वेरिफिकेशन प्रक्रिया चल रही थी।

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